Maa ki yaad (Hindi Kavita)

[postlink]http://vandana-techcare.blogspot.com/2008/09/maa-ki-yaad-hindi-kavita.html[/postlink]आज यूही बैठे बैठे आंखे भर आई हैं
कहीं से मां की याद दिल को छूने चली आई हैं
वो आंचल से उसका मुंह पोछना और भाग कर गोदी मे उठाना
रसोई से आती खुशबु आज फिर मुंह मी पानी ले आई है
बसा लिया है अपना एक नया संसार
बन गई हूं मैं खुद एक का अवतार
फिर भी न जाने क्यों आज मन उछल रहा है
बन जाऊं मै फिर से नादान्
सोचती हूं, है वो मीलों दूर बुनती कढाई अपने कमरे मे
नाक से फिसलती ऍनक की परवाह किये बिना
पर जब सुनेगी कि रो रही है उसकी बेटी
फट से कहेगी उठकर,"बस कर रोना अब तो हो गई है बडी"
फिर प्यार से ले लेगी अपनी बाहों मे मुझको
एक एह्सास दिला देगी खुदाई का इस दुनियां मे.
जाडे की नर्म धूप की तरह आगोश मे ले लिया उसने
इस ख्याल से ही रुक गये आंसू
और खिल उठी मुस्कान मेरे होठों पर

1 comments:

Dev said...

Maa par likhi aapki yah kavita ,
maa ke aadar, pyar aur uske sneh
ko vyakt karti hai.....
aur yah,yah bhi vyakt karti hai ki
ki aap maa ko bahut pyar kate ho...

Maine bhi es blog par "Maa" naam se ek poem likhi hai, aur es kavita par aapka commnt chata hoon..
http://dev-poetry.blogspot.com/2008/09/blog-post_17.html

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