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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post.html[/postlink]आई जो तेरी याद तो आँख भर आई है,
तू पलकों से बन के अश्क चालक आई है.

जी चाहता है तेरे उन कह्तों को चूम लूँ,
जिसमे तेरे हांथों की खुश्बुए-हिना समाई है.

खुदाया ये कैसा कहर है मुझ पर आया,
महबूब के आँगन बजी गैर की शहनाई है.

आज जो तेरी तस्वीर मैंने रूबरू रख ली,
बोसा लेने को चांदनी मेरे घर उतर आई है.

आंखों के सागर को बा एक परदे से धक् लिया,
तू कहीं डूब न जाए मेरे प्यार की गहराई है.

देख तेरे लबों के सुर्ख गुलाबों की कसम,
कहने-यार से तुने ग़ज़ब क़यामत ढाई है.

किस्मत ने मुह मोडा तो तुने भी हाथ छोड़ दिया,
राहे-वफ़ा में दोस्त तुने खूब दोस्ती निभाई है...

दिल टूट गया

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_11.html[/postlink]जब यूँही कभी बैठे बैठे, कुछ याद अचानक आ जाए,
हर बात से दिल बेजार सा हो, हर चीज़ से दिल घबरा जाए,

करना भी मुझे कुछ और ही हो, कुछ और ही मुझसे हो जाए,
कुछ और ही सोचूं मैं दिल में, कुछ और ही होंठों पर आए,

ऐसे ही किसी एक लम्हे में चुपके से कभी खामोशी में,
कुछ फूल अचानक खिल जायें, कुछ बीते लम्हे याद आए,
उस वक्त तेरी याद आती है,

जब चांदनी दिल के आँगन में कुछ कहने मुझसे आ जाए,
और खाबीदा से चोक कोई एहसास पे मेरे छ जाए,

जब जुल्फ परेशां चेहरे पर, कुछ और परेशां हो जाए,
जब दर्द भी दिल में होने लगे, और साँस भी बोझल हो जैसे ही,

किसी एक लम्हे में चुपके से कभी खामोशी में,
कुछ फूल अचानक खिल जायें कुछ बीते लम्हे याद आयें,
उस वक्त तेरी याद आती है,

जब शाम ढले चलते चलते मंजिल का न कोई नाम मिले,
हँसता हुआ एक आगाज़ मिले रोता हुआ एक अंजाम मिले,

पलकों के लरजते अश्कों से इस दिलको कोई पैगाम मिले,
और साडी वफाओं के बदले मुझको ही कोई इल्जाम मिले,

ऐसे ही किसी एक लम्हे में चुपकेसे कभी खामोशी में,
कुछ फूल अचानक खिल जायें कुछ बीते लम्हे याद आयें,

उस वक्त तेरी याद आती है,
शिद्दत से तेरी याद आती है..

आप की याद दीपू

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_9828.html[/postlink]

मैं कभी बतलता नहीं , पर अंधेरे से डरता हूँ मैं माँ
यूँ तो मैं,दिखलता नहीं , तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
तुझे सब हैं पता, हैं ना माँ - - तुझे सब हैं पता,,मेरी माँ

भीड़ में यूँ ना छ्होरो मुझे, घर लौट के भी आ नेया पाऊँ माँ
ेज ना इतना डोर मुजकको तू , याद भी तुझको आ नेया पाऊँ माँ
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ — क्या इतना बुरा मेरी माँ

जब भी कभी पापा मुझे, जो ज़ोर से झूला झूलते हैं माँ
मेरी नज़र ढूँढे तुझे , सोच यही तू आ के थामेगी माँ
उनसे मैं यह कहता नहीं — पर मैं सहम जाता हूँ माँ

चेहरे पे आने देता नहीं, दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ
तुझे सब है पता है नेया माँ , तुझे सब है पता मेरी माँ

मैं कभी बतलता नहीं , पर अंधेरे से डरता हूँ मैं माँ
यूँ तो मैं,दिखलता नहीं , तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
तुझे सब हैं पता, हैं ना माँ - - तुझे सब हैं पता मेरी माँ

तेरी याद माँ

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_10.html[/postlink]जो पल मैंने आप साथ गुजरे थे वो ही मेरी जिंदगी थी
आप के वाबेर तो एक जिन्दा लाश बन गया हूँ मै

याद

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_09.html[/postlink]यूँ किस तरह से तुमने मुझको भुला दिया
मेरे दिल के ख्वाबों को कैसे जला दिया

देखना चाह जो तेरी सूरत को एक बार
उस बेवफा ने यह देख चेहरा छुपा दिया

आईने मैं नज़र आने लगा मुझको तेरा चेहरा
यह देख कर हमने आईने को सजा दिया

भीगी हुई पलकों से कतरों को थाम लूँ
फिर देख कर तेरी तस्वीर अन्सुं बहा दिया

दूर हो तुम अच नहीं लगता मुझे
पर तेरी जुदाई ने मुझे जीना सिखा दिया

वफ़ा की उम्मीद अब भी करता हूँ तुझसे
पर तेरी बेवफाई ने वफ़ा का मतलब भुला दिया

खो कर तेरी यादों मैं एक और शब् गुज़र दी
आज फिर मैने अपने दिल को यूँही रुला दिया

दिल कैसे कहे नज़ारा से तेरी जुदाई का सबब
मेरी सांसों को जो तुने अपना मुहताज बना दिया

यूँ किस तरह से तुमने मुझको भुला दिया

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_5871.html[/postlink]ये डिग्री भी लेलो, ये नौकरी भी लेलो
भले चाहे लेलो मुझ से उस का वीसा

मगर मुझे लौटादो कॉलेज का कैंटीन
वो कम चाय का पानी, वो तीखा समोसा

कॉलेज की सबसे पुरानी निशानी
वो चाय-वाला जिसे सारे कहते थे जानी

वो जानी के हाथों की 'कटिंग' चाय मीठी
वो चुपके से जर्नल में भेजी हुई चिट्ठी

वो पढ़ते ही चिट्ठी उसका तिल-मिलाना
वो चेहरे की लाली, वो आंखों का गुस्सा

खरी धुप में अपने घर से निकलना
वो प्रोजेक्ट की खातिर शेहेर भर भटक'न

वो लेक्टुरे में दोस्तों की प्रॉक्सी लगना
वो सर को चिद्रना, वो एरोप्लाने उराना

वो सुब्मिस्सिओं की रातों को जागना जगाना
वो विवा की कहानी, वो प्रैक्टिकल का किस्सा

बिमारी का देतेंशन के टाइम बहाना
वो दूसरों के अस्सिग्न्मेंट्स को अपना बनाना

वो सेमिनार के दिन पैरों का चाट-पटना
वो वर्कशॉप में दिन रात, पसीना बहाना

वो एक्साम के दिन का बेचैन माहौल्पर
वो माँ का विश्वास वो टेअचर का भरोसा

वो हॉस्टल की लम्बी सोहनी रातें
वो दोस्तों से चाट पे प्यारी सी बातें

वो गठेरिंग के दिन और लरना झगरना
वो लार्कियों का यूँ ही हमेशा अकरना

भुलाए नही भूल सकता है कोई
वो कॉलेज, वो जीवन का एक अत्तोत हिस्सा

वो कालेज के दिन

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_08.html[/postlink]


तुझसे बिछड़ के ए हमसफ़र आज मैंने जाना
होता है क्या साँसों का धड़कन से रिश्ता टूट जन

मैंने जाना…

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_5357.html[/postlink]
एक लम्हा !

काश क रुक जाए ज़िन्दगी और थम जाए वो एक लम्हा
काश क माजी का वर्क पलते और थम जाए वो एक लम्हा


इस तनहयो क सफर में वो एक हे टू था हम सफर
मई उस अजनबी को पाकर लूँ और थम जाए वो एक लम्हा


ज़िन्दगी की दौर मई मई भाग भाग क थक गया
उम्मीद है कही वो रुक जाए और थम जाए वो एक लम्हा


काश क वो ए और बात न कराय जाने की
अस्मा'अन पे कलि घटा छाये और थम जाए वो एक लम्हा


वो इस सरूर की महफिल मई किसी तरह से रुक जाए
हैदर सुनाये अपनी ग़ज़ल और थम जाए वो एक लम्हा !!

एक लम्हा !

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_734.html[/postlink]पत्थर कहा गया कभी शीशा कहा गया

दिल जैसी एक चीज़ को क्या-क्या कहा गया

शेरोन में उस हुस्न को क्या-क्या कहा गया

बदल को जुल्फ, फूल को चेहरा कहा गया

सोचे तोह यह भी एक क़फ़स ही तोह है जिसे

तह_जीब की जुबां में कमरा कहा गया

एक बात इख्तेयार से बहार जो की उस_से

किस खूबसूरती से उससे तमान कहा गया


हैरत उनकी बज्म में मोह्बात, निकल अभी

मुझसे गुनाह-ऐ-गैर को अपना कहा गया

पत्थर कहा गया कभी शीशा कहा गया

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_1256.html[/postlink]ज़ख्म इनने गहरे इज़हार की करिए, असी ख़ुद निशाना बन गए वर्र की करिए,

दिल कद क तेरे कदम च रख दिता, हूँ तू ही दस रजनी इस तो वाद तेरा सत्कार

की करिए....

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रब्ब दा रुतबा अपनी था ते
यार दा रुतबा वाख,
रब्ब नु तरसे आत्मा,
ते यार नु तरसे अख,
दुनिया विच वाद्मुले दोवा दे दीदार,
सब तो महंगा सब तो औखा
इक खुदा ते इक यार.

ज़हर वेख क पिता ता की पिता, इश्ज़ सोच क किता ता की किता, दिल दे क जे दिल लें दी आस राखी,

एहो जेहा प्यार किता ते की किता…..


बचपन दे गली ते ग्वंद न ओह भुल्दे खेद दे क कलि जोतता ओह था न भुल्दे

असी अपनीय खुशिया नु तेरे उत्तो वर्दे रहे हाथ विच सी जोतता, कलि कह के

हार्ड रहे॥




मान्य की अज्ज सद्दे नाल कोई दिलदार नही, मान्य की अज्ज सद्दे नाल कोई दिलदार नही,

पैर ऐ न समझाना की सन्नू किसी नाल प्यार नही, किस्मत ने सब कुछ दित्ता

मेनू...... पर दित्ता मेरा ओ यार नही

सोहना दिल ते हसन जवान होवे… पक्की सड़क ते उचा मकान होवे… आ घुट के

झाफी प् लिए जेर पहला छाडे ओह बिमान होवे

तू सोहनी तेरा न सोहनी,
पर तू सोहनी बन के न दिखा सकी,
सोहनी ता कचे घद्दे ते व् तरर के आ गी क
ते तू थ्री व्हीलर ते वि न आ सकी!!!

पंजाबी समस सुब्मित्तेद बी :- सुनहरी




तोडी याद मेनू रुलान्दी है

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_3672.html[/postlink]
तेनु अपना बनुन्दे असी एहने चंगे किथे
हॉल दिल दा सुनौन्दे असी एहने चंगे किथे
तू तन रोलिया सानु अपनी ठोकर
तेरी ठोकर कियो सहरिये असी एहने महदे किथे??? (मीत गुरमीत)

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नीर न वगदे मेरे रब्बा
एस दिल विच राज बथेरे ने
जे दिल देंदा है साथ मेरा
ते अखिया देंदिया धोखा ने (मीत गुरमीत)



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सुन वे रबा एस दिल दी फरियाद
एस दिल विच जखम बथेरे ने
एहना जख्म नु ले के किथे जावा
हर Passé छाए हनेरे ने
एहना हनेरा नु कार्ड तो ख़तम
एहना हनेरिया च दुखडे मेरे ने (मीत गुरमीत)



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असी व् चौन्दे आ अपनी जिंदगी बदलना
असी वि चौन्दे आ दुनिया वांग चलना
एस दुनिया च पेंदा न सचे दिल दा मूल कोई
इथे जांदे सिर्फ शक्ल ते धुल हर कोई (मीत गुरमीत)
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जिंदगी
एक पाहेली

जिस्नु समझना असं नही
सम्झन वाले समझ व् लेने
पर सदी समझ तोह बहार है
















तेनु अपना बनुन्दे असी एहने चंगे किथे

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_779.html[/postlink]

देखा तुझे तो रूह खुश हो गई,
एक कमी थी वो भी पुरी हो गई,
पागल हैं वो लोग जो कहते हैं की,
चिम्पंजी की आखरी नसल कहीं खो गई!!

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मेरे दिल, जिगेर, किडनी, लिवर हो तुम
वक्त-बेवक्त आए वो फीवर हो तुम
डूब कर जिसमे मरर जाओ वो रिवर हो तुम
मेरे जीवन में अब तो फोरेवर हो तुम…

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शाम होते ही ये दिल उदास होता है
टूटे ख्वाबू के सिवा कुछ न पास होता है
तुम्हरी याद ऐसे वक्त बोहत आती है
बन्दर जब कोई आस-पास होता है..

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वो आज भी हमे देख कर मुस्कुराते हैं
वो आज भी हमे देख कर मुस्कुराते हैं
यह तो उनके बच्चे ही कामिनी हैं,
जो मामा मामा कहके बुलाते हैं:)

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एक लड़की थी दीवानी सी, सुंदर सी लम्बी सी,
नज़रें झुकाके शरमाके गलिओं से गुज़रा करती थी
लटक मटक चलती थी, और कहा करती थी,
बर्तन लेलो बर्तन….

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वोह हमारी गली में आए…
वोह हमारी गली में आए…
वोह हमारी गली में आए…
और चिल्लाके बोले…..
पेपर रद्दी वाला !!!!!


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अपनी सूरत का कभी तो दीदार दे
तड़प रहा हु कभी तो अपना प्यार दे
अपनी आवाज़ नही सुनानी तो मत सुना
कम से कम १ मिस्सेद कॉल ही मार दे

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जब तुम अंगडाई लेती हो थो मेरा दम निकल जाता है
जब तुम अंगडाई लेती हो थो मेरा दम निकल जाता है
अरे थोड़ा देओद्रांत लगाने मैं तेरा क्या जाता है:)

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तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करू, तेरा बंदर जैसा है मू
तेरी जुल्फों की क्या तारीफ़ करू, तेरे एक एक बाल पे है जू

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हठी ने कहा जा कर हथनी की कबर पैर
सदके जाऊं तुम्हारी पतली कमर पैर …

हाय दोस्त अबी मस्ती करने का

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_7139.html[/postlink]


“वो पल जो गुजारे तेरे साथ वो ही मेरी ज़िन्दगी थे…

तुझसे बिछड़ के हम जीना भूल गए है”

वो पल ...

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_6830.html[/postlink]
ज़िन्दगी मैं गुजरे वो पल याद रखता हूँ
मेरे हम नाफर्ज़ तेरी याद साथ रखता हूँ


ढलती शाम, सुनहरे बदल और खामोश पानी
अज भी वहीँ तेरे अन्य की आस रखता हूँ
ज़िन्दगी मैं गुजरे वो पल याद रखता हूँ


तेरे हाथों की नरमी भुला पता नही
नाम तेरा इन लार्किरों से जाता नही


इन्हीं हाथों को बुलंद तुझे याद रखता हूँ
अज भी दुआओं का समंदर आबाद रखता हूँ


के ज़िन्दगी मैं गुजरे वो पल याद रखता हूँ
मेरे हम नाफर्ज़ तेरी याद साथ रखता हूँ

ज़िन्दगी मैं गुजरे वो पल याद रखता हूँ

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_8071.html[/postlink]वो लम्हा वो पल गुज़र गया जो वो कल, बहुत याद आता है बहुत याद आता है.वो तेरा साथ वो मेरे हाथों में तेरा हाथ, लम्न्हो का नही जन्मो का जो अपना ये साथ हर पल बहुत याद आता है बहुत याद आता है तेरे प्यार का अहसास , तुझे मिलने की प्यास , जनता था मेरे सपनो को ये सारा आकाश ,वो एक पल को तुझ में सिमट जाने का अहसास, बहुत याद आता है बहुत याद आता है .न जाने क्यों बेचैन हो जाता हूँ मैं, ख़ुद से ही बेखबर हो जाता हूँ मैं हर पल ख्यालों में वो तुझको सोचते रहना ,तेरी तस्वीर से अक्षर वो घंटो तक बातें करना,बहुत याद आता है बहुत याद आता है.वो मेरा मिलाने का इरादा वो तेरा आने का वादा, वो बेचैन हो कर करना तेरा इंतज़ार, वो तेरा देर से आना आ कर बहने बनाना, वो तेरी बातें वो मेरा इंतज़ार बहुत याद आता है बहुत याद आता है वो जब मिले थे हम पहली बार ,जो बातें कही थी तुमने उस मुलाकात में , अब्ब भी उन सब्दों को रुके हुए रखा है मैंने दिल में वो हमारा किया हुआ पहला वादा साथ जीने मरने का इरादा बहुत याद आता है बहुत याद आता है वो तुम्हें चुना वो
तुमहरा शर्माना , तेरा दिया हुआ प्यार का वो पहला नज़राना,सोचता हूँ जब भी उन पलों को, रोक नही पता हूँ इन अन्स्सोनो को,वो तेरा रुदन वो मेरा मानना और तेरा मुस्कराना बहुत याद आता है बहुत याद आता है वो गले से लगना वो चाहत का जाताना वो पलकों को झुकाना वो आँखों को चुरानान्वो सिमटना बाँहों में एक दूजे की रह गए है बस अब ये बात सोचने की वो प्यार से तुझे दिखाते रहना बहुत याद आता है बहुत याद आता है बहुत याद आता है बहुत याद आता है सारी ज़मीं अपनी थी अपना था सारा आकाश नही था कंही भी किसी गम का अहसास वो हनथो में डाले हाँथ

बढे रहना एक दुसरे के पास बहुत याद आता है बहुत याद आता है वो झील का किनारा वो साथ तुम्हारा वो सपनो की दुनिया का घर हमारा वो कागज़ की किस्ती वो किनारे की मिटटी खुश थे हम कुश था चमन सारा कुशी का हर वो पल बहुत याद आता है बहुत याद आता है पता नही किसकी लगी नज़र बिखरने लगा हर सपना.. मगर वो हमारा विस्वास वो ज़माने से न डरने का इरादवो हर मुस्किल में एक दुसरे का साथ देने का वादा बहुत


याद आता है बहुत याद है वो ज़माने से हमारी पहली बगावत वो तुम्हारे हाथों का अटूट साथ वो हमारा एक दुसरे के लिए जीने का ख्वाब्बहुत याद आता है बहुत याद आता है वो दिन भी आया जब हमारा प्यार डगमगाया कितना संभाला मगर समभाल न पाया न मंज़र हुआ दुनिया के ये हमारा साथ कर दिए उसने जुदा हमारे हाथ बहुत कोशिश की मगर मैं कुछ कर न पयावो तेरा रोता चेहरा वो मेरे अन्स्सो वो बेबसी भरा हर एक लम्हा,बहुत याद आता है बहुत याद आता है और आज न तुम हो , न तुम्हारा साथ है.न कोई सच है न कोई इरादा है न कोई वादा है.फिर भी न जाने क्यों वो झूट , वो इतबार ..वो प्यार ..वो इंतज़ार.. वो ख्याल...वो ख्वाब ..वो बातें ..वो मुलाकातें..अब भी मुझे साडी रात हैं जागते ...नही भुला सकता मैं तेरा साथ एक पल के लिए भी...तू हर पल सनम बहुत याद आता है बहुत याद आता है....बहुत याद आता है बहुत याद आता है

बहुत याद आता है वो पल

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/blog-post_06.html[/postlink]मेरे एक दोस्त की बहन की सादी उर के पास के गोव से ही होई थी उनके घरवालो ने दहेज़ में उनको वो सब खुक दिया जो वे दे सकते थे यहाँ तक की उन्होंने अपना खेत तक बेच दिया अपनी लड़की के सुख के लिए सबकुछ तय होने के शादी हो गई जो कुछ उन्होंने मागा था वह सब मेरे चाचा ने दिया . सादी के २-३ महीने तो बे लोग कुछ नही बोले लेकिन इस के बाद बे मेरे दोस्त की बहन को सताने लगे कभी बोलते तुम ये लेकर नही आई खबी कहते तुम वो लेकर नही आई इस तरह से वे उस को खूब परेसान करते थे जब मेरे दोस्त के घरवालो ने उन से ये न करने को कहा तो उन्होंने उस की बहन को छोड़ देने की धमकी दी ये सुन कर मेरे दोस्त के घरवाले चुप रह जाते . कुछ दिनों के बाद तो बे इस हद तक पहुच गए की उस को घर का बचा खाना देने लगे उस की कोई इजाजत नही करता था और वह यह सब चुप चाप सहती जाती कभी उस को ओर उस के घरवालो को गली देते और उस को पिटते . और उस से कहते की तू अपने घर जा कर रह. वह बेचारी घर का सारा कम करती घर की सफाई करती सब के कपड़े धुलती लेकिन जब खाने का टाइम आता तो उस एक नोकर की तरह एक थाली में खाना दे दिया जाता वह इतना जयादा अपनी जिंदगी से परेसान हो गई की उसने आत्म हत्या करनी चाही पर किसी तरह से उस को भगवान ने बचा लिया उस के बाद मेरे दोस्त के जीजा जी रामा को उस के घर छोड़ गए और कहा की अब हमारा इस से कोई नाता नही . कुछ दिनों के बाद सब लोगो के समझाने पर उस के ससुराल वाले रामा को ले गए पर अब वे उस को और भी जयादा परेसान करते इस के बाद एक दिन ख़बर आई की राम ने जल कर हत्या कर ली लेकिन सच तो ये था की उस के पति और उस की सास ने उस को जला कर मर डाला था. इस में दोस किसका था मेरे दोस्त के घरवालो का जो सब कुछ जानते थे फिर भी उन्होंने राम के ससुराल वालो से कुछ नही कहते. या उन दहेज़ के लोभियो का जिन्होंने कुछ रोप्यो की खातिर उसे जला दिया .या उस बाचारी रामा का को चोप चाप सब कुछ सहन करती रही . जब भी में इस घटना को याद करता हो तो मेरे अखो से असू आ जाते है मै दहेज़ के उन लोभियो से कहना चाहोगा की अगर उन की बहन या बेटियो को कोई जला दे तो उन पर क्या बीते गी . वो कभी ये नही सोचेते जिसे बे ब्याह कर लाये हे उस के भी कुछ अपने अरमान है . मुझे माफ़ करना में इससे जयादा नही लिख सकता क्योकि उस की यद् मुझे रुला रही हाय…………….

दहेज़ क्या होता है

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[postlink]https://vandana-techcare.blogspot.com/2008/10/dahej-kya-hota-hay-may-kabhi-samajh-hi.html[/postlink]Mere ak dost ki bahan ki sadi ur ke pass ke gaov se hi hoi thi unke gharwalo ne dahej me unko wo sab khuc diya jo we de sakte the yaha tak ki unhone apna kkhet tak bech diya apni ladki ke such ke liye sabkuch tay hone ke shadi ho gayi jo kuch unhone maga thaw ah sab mere chacha ne diya . sadi ke 2-3 mahine to be log kuch nahi bole lakin is ke bad be mare dost ki bahan ko satane lage kabhi bolte tum ye lekar nahi ayi khabi kahte tum wo lekar nahi ayi is tarah se we us ko khub paresan karte the . jab mere dost ke gharwalo ne un se ye na karne ko kaha to unhone us ki bahan ko chhod dene ki dhamki di ye sun kar mere dost ke gharwale chup rah jate . kuch dino ke bad to be is had tak pahuch gaye ki us ko ghar ka bacha khana dene lage us ki koi ijajt nahi karta tha aur wah yah sab chup chap sahti jati kabhi us ko aor us ke gharwalo ko gali dete aur us ko pitate . Aur us se kahte kit u apne ghar ja kar rah. wah bechari ghar ka sara kam karti ghar ki safai karti sab ke kapde dhulti lekin jab khane ka time ata to us k oak nokar ki tarah ak thali me khana de diya jata . wah itna jayada apni jindagi se paresan ho gayi ki usne atm hatya karni chahi par kisi tarah se us ko bhagwan ne bacha liya us ke bad mere dost ke jija ji Rama ko us ke ghar chod aye aur kaha ki ab hamara es se koi nata nahi . kuch dino ke bad sab logo ke samjhane par us ke sasural wale rama ko le gaye par ab we us ko aur bhi jayada paresan karte es ke bad ak din khabar ayi ki rama ne jal kar h atya karli laken sach to ye tha ki us ke pati aur us ki sas ne us ko jala kar mar dala tha. Es me dos kiska tha mere dost ke gharwalo ka jo sab kuch jante the bhir bhi unhone rama ke sasural walo se kuch nahi kahte. Ya un dahej ke lobhio ka jinhone kuch ropyo ki khatir use jala diya .


Ya us bachari rama ka ko chop chap sab kuch sahan karti rahi . jab bhe me is ghatna ko yad krta ho to mere akho se asu aa jate hay may dahej ke un lobhio se kahna chahoga ki agar un ki bahan ya batik o koi jala de to un par kya bite gi . wo kabhi ye nahi sochete jise be byaha kar laye he us ke bhi kuch apne arman hay . sory me isse jayada nahi likh sakhata kyoki us ki yad mujhe rula rahi hay…………….

Dahej kya hota hay may kabhi samajh hi nahi paya

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